32 साल की युवा टीचर को हर महीने अस्पताल में भर्ती होना पड़ता था
पीरियड्स आते ही बढ़ जाती थी महिला टीचर की समस्या
आगरा। दिल्ली के बीएलके-मैक्स अस्पताल में सोनीपत की युवा टीचर का सफल आॅपरेशन किया गया है। ये टीचर फेफड़ों की दुर्लभ किस्म की बीमारी से पीड़ित थी जिनकी वीएटीएस सर्जरी की गई है। महिला टीचर को उनके मासिक पीरियड्स के दौरान फेफड़ों में समस्या होती थी। दरअसल, हर महीने जब महिला टीचर को उनके पीरियड्स स्टार्ट होते थे तो सीने में काफी दर्द होता था। इससे उन्हें सांस लेने में दिक्कत होती थी और पैनिक अटैक पड़ने लगते थे। ये परेशानी हर महीने की थी, जिसके कारण वो दर्द में काफी कमजोर महसूस करती थीं, साथ ही उन्हें सांस से जुड़ी प्रॉब्लम्स भी होने लगती थी। ये हालत देखते हुए उन्हें हर बार सोनीपत के स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता था।
सोनीपत में डॉक्टरों ने मरीज के टेस्ट करने के बाद उन्हें तत्काल राहत देने के लिए इंटर कोस्टल चेस्ट ड्रेनेज (आईसीडी) दिया। हालांकि, यहां डॉक्टरों ने कई तरह की जांच रिपोर्ट कराईं लेकिन वो असल बीमारी का पता लगा पाने में सफल नहीं हो सके। ये स्थिति तब थी जबकि महिला टीचर ने गायनेकोलॉजिस्ट से लेकर फिजिशियन, पल्मुनोलोजिस्ट समेत अन्य कई एक्सपर्ट डॉक्टर्स को दिखा लिया था लेकिन कोई भी उनके सीने के दर्द की समस्या को मासिक पीरियड से जोड़कर असर रोग नहीं समझ सका। यहां तक कि नौबत ये आ गई कि उन्हें डॉक्टरों ने घर पर आॅक्सीजन की व्यवस्था के लिए भी कह दिया।
इस महीने की शुरूआत में भी जब महिला युवा टीचर को वही समस्या हुई तो उनके पति सभी जांच रिपोर्ट्स लेकर बीएलके-मैक्स अस्पताल में डॉक्टर संदीप नायर के पास पहुंच गए। पेशंट के लक्षण जानकर डॉक्टर संदीप नायर को तुरंत समझ आ गया और उन्होंने महिला के पति को बताया कि ये एक दुर्लभ केस हो सकता है जिसे केटामेनियल न्यूमोथोरैक्स कहते हैं। साथ ही महिला के पति को ये भी बताया गया कि इस मामले में स्पेशल ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ेगी। महिला टीचर के पति ये देखकर बहुत खुश हुए कि डॉक्टर संदीप नायर ने तुरंत ही रोग का पता लगा लिया और पेशंट को तुरंत बीएलके मैक्स अस्पताल में भर्ती करा लिया। डॉक्टर संदीप नायर दिल्ली के बीएलके मैक्स सुपर स्पेशयलिटी अस्पताल में सेंटर फॉर चेस्ट एंड रेस्पिरेटरी डिसीज के सीनियर डायरेक्टर हैं। महिला टीचर के बारे में डॉक्टर नायर ने बताया कि पेशंट की ब्लड रिपोर्ट एकदम नॉर्मल थीं लेकिन सीने का सीटी स्कैन करने पर पता चला कि दाहिने हिस्से में न्योमोथोरैक्स है, साथ ही फेफड़ों की परत मोटी होने की समस्या भी है। ये देखकर टीम ने सीटीवीएस टीम से ओपिनियन लिया और फिर वीडियो असिस्टेड थोराकिक सर्जरी की गई। सर्जरी के बाद मरीज स्थिर थीं और उनके अंग नॉर्मल थे। अगले ही दिन मरीज को डिस्चार्ज कर दिया गया।
केटेमेनियल न्यूमोथोराक्स महिलाओं को होने वाली एक बहुत ही रेयर समस्या है जिसमें हवा या गैस फेफड़ों के चारों ओर फंस जाती है जिससे फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है। हालांकि, ये नुकसान ज्यादा नहीं होता लेकिन कुछ केस में यूटेरस के बाहर एंडोमेट्रियल टिशूज बनने लगते हैं. जिन महिलाओं को भी इस तरह की दिक्कत होती है उन्हें पीरियड्स के से 72 घंटे पहले या बाद में लक्षण दिखाई देने लगते हैं।
डॉक्टर नायर का कहना है कि क्योंकि केटेमेनियल न्यूमोथोराक्स के लक्षण दूसरी अन्य बीमारियों जैसे भी हो सकते हैं इसलिए समय पर इसका इलाज बेहद जरूरी है। अगर किसी को इस बीमारी के बारे में जानकारी नहीं हो तो वे फेफड़ों की समस्या को पीरियड्स से जोड़कर नहीं देख पाते। इसे समझने के लिए बहुत ही विशेषज्ञता की जरूरत होती है। शुरूआती स्टेज में इलाज के सालों बाद भी ये समस्या फिर से आ सकती है और जिन लोगों की सर्जरी हो जाती है उनमें फिर से ये बीमारी होने के चांस 8 से 40 फीसदी तक रहते हैं. इसलिए सर्जरी के दौरान फेफेड़ों के पाने का पता लगाना और निकालना बहुत महत्वपूर्ण होता है। डॉक्टर नायर ने ये भी कहा कि इस तरह के केस को संभालने के लिए एक अच्छी टीम की जरूरत रहती है। उन्होंने अपनी टीम के डॉक्टर सनी कालरा, डॉक्टर मनीष गर्ग, सर्जन्स डॉक्टर प्रमोद जिंदल, डॉक्टर समद एंड टीम समेत गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर दिनेश कंसल को शुक्रिया कहा।
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