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शिक्षा का अनिवार्य अंग है राष्ट्रवाद

 इंडिया से भारत की ओर संगोष्ठी का हुआ आयोजन 



आगरा। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ द्वारा शुक्रवार को कंपोजिट स्कूल कौलारी में आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत 'इंडिया से भारत की ओरÓ संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ प्रांत कार्यवाह डॉ. प्रमोद शर्मा ने मां सरस्वती एवं मां भारती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया। उन्होंने कहा कि असली भारत गांवों में बसता है। राष्ट्रवाद शिक्षा का अनिवार्य अंग है, जिस पर शिक्षकों को अधिक जोर देना होगा। मुख्य अतिथि विभाग प्रचारक आनंद ने कहा कि भारत हमेशा से भारत था इंडिया का मिथक तो वामपंथियों ने गढ़ा है। प्रमुख वक्ता प्रो. सुगम आनंद ने इतिहास के पुनर्लेखन की आवश्यकता को राष्ट्रवाद का अनिवार्य अंग बताया। विषय प्रवर्तक डॉ. देवी सिंह नरवार ने संघ की राष्ट्रवादी विचारधारा को इंडिया के भारत में रूपान्तण का मुख्य आधार स्तम्भ बताया। उप निदेशक एवं प्राचार्य डाइट डॉ. इंद्र प्रकाश सोलंकी ने शिक्षकों से छात्रों के साथ सह्रदय सम्बंध रख शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने की अपील की। कार्यक्रम में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी  स्व. हुकुम सिंह परिहार, स्व. दौलत राम सिंह, स्व. अर्जुन सिंह , स्व. रघुवीर सरन के परिवारीजनों को सम्मानित किया गया।  साथ ही 1962, १९65 और १९७१ के युद्धों में भाग लेने वाले कैप्टन महिपाल सिंह और राज्य स्तर पर पुरस्कृत शिक्षक विकास शर्मा को भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. स्वाति यादव और निर्देशन डॉ. मनोज परिहार का रहा। वीकल सिंह ने आभार एवं व्यवस्थापन अमित शर्मा ने किया। 
कार्यक्रम में मुख्य रूप योगेन्द्र गालब, डॉ. रानी परिहार, अनिल अग्रवाल, कल्पना ठाकुर, महविश, दयाल यादव, लोकेंद्र, मुनेश यादव, अशोक शर्मा, राजेश परमार, द्रोणाचार्य, योगेन्द्र जाट, संजीव कुमार, कोमल, मनोज गुप्ता, हरिबाबू, अर्जुन सवेदिया, सतेन्द्र भाटी, धर्मवीर, नजिया, विमलेश भदौरिया, माधवी भदौरिया, आरती शर्मा, ट्विंकल शर्मा, प्रीति पराशर, गीता, गुड्डु, संदीप आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे। 

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