- अत्याधुनिक न्यूरो नेविगेशन तकनीक सर्जरी की प्रक्रियाओं में सटीकता और सुरक्षा को बेहतर बनाती है
- जोखिमों को कम करने और बेहतर परिणामों के लिहाज से यह मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद है
आगरा, 10 अप्रैल 2024। मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल, फ़रीदाबाद सर्जरी की प्रक्रियाओं के लिए चिकित्सकीय रूप से कई अत्याधुनिक विकल्पों की पेशकश करता है। अस्पताल का न्यूरोसर्जरी विभाग, न्यूरोसर्जरी में उपयोग की जाने वाली उन्नत तकनीकों के साथ उत्कृष्टता केंद्र के रूप में स्थित है, जो इस प्रक्रिया को बिल्कुल सटीक और हर कसौटी पर खरा बनाते हुए त्रुटियों की न्यूनतम या कोई गुंजाइश नहीं छोड़ता है, जिससे नतीजे बेहतर होते हैं और मरीजों के लिए जोखिम कम हो जाता है। अस्पताल में न्यूरोसर्जरी विभाग की कमान डॉ. तरुण शर्मा, डायरेक्टर एवं एचओडी, न्यूरोसर्जरी, के हाथों में है, जिसमें उन्हें डॉ. सचिन गोयल, सीनियर कन्सलटेंट, न्यूरोसर्जरी का सहयोग प्राप्त है।
भारत में संक्रामक और गैर-संक्रामक, दोनों तरह के रोगों में न्यूरोलॉजिकल बीमारियों का बहुत बड़ा योगदान है, जो जानलेवा एवं गैर-जानलेवा हो सकते हैं। इन बीमारियों के बड़े पैमाने पर प्रसार, बीमारी के बोझ और इससे जुड़े जोखिम कारकों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए, भारतीय आबादी में न्यूरोलॉजिकल बीमारियों के बारे में व्यवस्थित तरीके से और बड़े पैमाने पर डेटा का विश्लेषण करना आवश्यक हो गया है।
न्यूरोनेविगेशन को न्यूरोसर्जिकल नेविगेशन भी कहा जाता है, जो एक ऐसी तकनीक है जिसका उपयोग न्यूरोसर्जरी की प्रक्रिया के दौरान सर्जनों को सटीक मार्गदर्शन देने के लिए किया जाता है। इसमें कंप्यूटर पर आधारित प्रणालियों को एमआरआई या सीटी स्कैन जैसी इमेजिंग तकनीकों के साथ जोड़ा जाता है, ताकि मरीज की शारीरिक संरचना के विश्लेषण के लिए उसके मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी का पूरा ख़ाका तैयार किया जा सके।
डॉ. तरुण शर्मा, डायरेक्टर एवं एचओडी, न्यूरोसर्जरी विभाग, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फ़रीदाबाद कहते हैं, “न्यूरोसर्जरी इंसानी शरीर पर की जाने वाली कुछ सबसे जटिल सर्जरियों में से एक है। मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी, पेरीफेरल नर्व्स और सेरेब्रोवास्कुलर सिस्टम से संबंधित यह प्रक्रिया काफी जटिल होती है, जो बोलने, याद रखने, शरीर की गतिविधियों पर नियंत्रण और आंतरिक अंगों के अच्छी तरह काम करने जैसे महत्वपूर्ण कार्यों को प्रभावित करती है। सर्जनों को न्यूरोसर्जरी की प्रक्रिया के दौरान वास्तविक समय में मार्गदर्शन प्रदान करके सटीकता और सुरक्षा को बेहतर बनाना ही न्यूरोनेविगेशन का मुख्य लक्ष्य है। सर्जरी से पहले, इमेजिंग डेटा को मरीज की एनाटॉमी के साथ जोड़ा जाता है। इस प्रक्रिया में इमेजिंग डेटा में संबंधित बिंदुओं के साथ मरीज के शरीर पर खास बिंदुओं या जगहों का मिलान किया जाता है। यह सुनिश्चित करता है कि, नेविगेशन प्रणाली प्रक्रिया के दौरान मरीज की एनाटॉमी बिल्कुल सटीक तरीके से दर्शाए। जिस तरह से नेविगेशन प्रक्रिया की जाती है, उसे देखते हुए इमेजिंग डेटा में 3D रिकंस्ट्रक्शन, वर्चुअल दृश्य के साथ-साथ ब्लड वेसल्स या ट्यूमर मार्जिन जैसी नाजुक संरचनाओं को देखने के लिए इंटरैक्टिव टूल शामिल हो सकते हैं। सर्जरी के दौरान वास्तविक समय में सर्जिकल उपकरणों की स्थिति और ओरिएंटेशन पर नज़र रखने के लिए ट्रैकिंग डिवाइस का उपयोग किया जाता है। इन सभी डिवाइस को सर्जिकल टूल्स से जोड़ा जा सकता है, या फिर खास तरह के फ्रेम या मार्कर की मदद से मरीज की एनाटॉमी में एकीकृत किया जा सकता है।”
डॉ. सचिन गोयल, सीनियर कन्सलटेंट, न्यूरोसर्जरी विभाग, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स, फ़रीदाबाद कहते हैं, “कई तरह के रोगों में मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी, या खोपड़ी के निचले हिस्से के भीतर प्रभावित टिश्यू को बाहर निकलने के लिए सर्जरी की जरूरत हो सकती है। इस तरह के रोगों के इलाज में ब्रेन ट्यूमर और गहरे घावों से लेकर पार्किंसंस डिजीज एवं डिस्टोनिया जैसे चलने-फिरने संबंधी रोगों का उपचार शामिल है। मस्तिष्क के सूचनाओं के आदान-प्रदान वाले हिस्से में सर्जरी से मस्तिष्क के महत्वपूर्ण काम-काज पर बुरा असर पड़ सकता है। पारंपरिक तौर पर, मस्तिष्क के महत्वपूर्ण काम-काज वाले हिस्से में क्षति को कम करने के लिए कीहोल सर्जरी और माइक्रोस्कोपिक प्रक्रियाओं जैसी बेहद कम चीर-फाड़ वाली तकनीकों का उपयोग किया जाता था। हालाँकि, इन तकनीकों की सीमाएँ हैं, क्योंकि इसमें सीमित क्षेत्र में ऑपरेशन करना संभव हो पाता है। सफल सर्जरी के लिए सर्जन को अव्वल दर्जे की सटीकता के साथ-साथ उपकरण के स्थान और लक्षित टिश्यू से निकटता के संबंध में सटीक डेटा तक पहुंच की आवश्यकता होती है। न्यूरोनेविगेशन तकनीक इन सभी कमियों को असरदार तरीके से दूर करती है।”
कुल मिलाकर देखा जाए, तो न्यूरोनेविगेशन बड़े पैमाने पर बदलाव लाने वाली तकनीक है, जो खास तौर पर मस्तिष्क की नाजुक संरचनाओं या संवेदनशील हिस्सों में मौजूद ट्यूमर से जुड़ी जटिल सर्जरी की प्रक्रियाओं में सटीकता को बढ़ाकर मॉडर्न न्यूरोसर्जरी में अहम भूमिका निभाती है। बीते तीन दशकों में, भारत में ज्यादातर अध्ययनों से यह बात सामने आई है कि स्ट्रोक, मिर्गी, सिरदर्द, पार्किंसंस डिजीज ओर डिमेंशिया सहित इस तरह की बीमारियों का बोझ काफी बढ़ गया है, जिसके अधिकांश मामले देश के शहरी इलाकों में सामने आए हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता में सुधार के बावजूद, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, आयु, भौगोलिक स्थिति तथा लैंगिक आधार पर असमानताएँ आज भी बरकरार हैं।
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