आगरा 08 मार्च 2025। भारत में सैंडविच जेनरेशन के लोग अपने माता-पिता और बच्चों की ज़िंदगी को हर संभव तरीके से सबसे बेहतर बनाने पर ध्यान देते हैं, फिर भी उन्हें ऐसा लगता है कि वे अपने भविष्य के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं हैं। एडलवाइज लाइफ़ इंश्योरेंस की एक स्टडी के अनुसार, 60% उत्तरदाता इस बात से सहमत हैं कि, "चाहे मैं कितनी भी सेविंग या इन्वेस्ट कर लूँ, पर ऐसा लगता है कि ये भविष्य के लिए काफ़ी नहीं है।" इस मौके पर एडलवाइज लाइफ़ इंश्योरेंस के एमडी एवं सीईओ, सुमित राय ने कहा, "पिछले कुछ सालों में अपने ग्राहकों के साथ बातचीत के आधार पर हमने इस बात को करीब से जाना है कि, सैंडविच जेनरेशन के लोग किस तरह अपने माँ-बाप और बच्चों की देखभाल के बीच फंसे हुए हैं। वे स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा जैसी ज़रूरी सुविधाएँ उपलब्ध कराना चाहते हैं, साथ ही वे अरमानों भरी ज़िंदगी भी देना चाहते हैं, जिसमें ‘ज़रूरतों’ को पूरा करने के लिए 'ख़्वाहिशों' की कुर्बानी नहीं देनी पड़े। यही सबसे बड़ी वजह है, जो उन्हें वित्तीय फैसले लेने के लिए प्रेरित करती है। और इन सब के बीच, वे अक्सर अपने सपनों को पीछे छोड़ देते हैं, जिससे उन्हें यह महसूस होता है कि वे भविष्य के लिए तैयार नहीं हैं।"
सामान्य तौर पर 35 से 54 साल की उम्र के लोगों को सैंडविच जेनरेशन कहा जाता है, जिनके कंधों पर दो पीढ़ियों – यानी अपने बुजुर्ग माता-पिता और बढ़ते बच्चों की आर्थिक ज़रूरतों को पूरा करने की ज़िम्मेदारी होती है। जीवन बीमा कंपनी ने YouGov के साथ मिलकर देश के 12 शहरों में इस जेनरेशन के 4,005 लोगों का एक सर्वे किया, ताकि उनके नज़रिये, उनकी धारणा और वित्तीय तैयारी के स्तर को समझा जा सके।
उनके वित्तीय फैसले परिवार के लिए अपनी ज़िम्मेदारी और प्यार पर आधारित होते हैं। हमारी स्टडी के नतीजे बताते हैं कि, इस जनरेशन के लोगों में आर्थिक रूप से तालमेल का अभाव या मनी डिस्मॉर्फिया (सरल शब्दों में, मनी डिस्मॉर्फिया का मतलब है, अपनी आर्थिक स्थिति के बारे में दुखी महसूस करना) है। 50% से अधिक लोग अलग-अलग बातों से अपनी सहमति जताते हैं, जिसमें पैसे खत्म होने की चिंता, हमेशा पीछे रह जाने और ज़िंदगी में कुछ अच्छा नहीं कर पाने का अहसास शामिल है।
सुमित राय ने आगे कहा, "इस जनरेशन के लोग अपनी ख़्वाहिशों के बारे में जानते हैं और मानते हैं कि, अपनी पसंद की प्रोडक्ट कैटिगरी में निवेश करके भविष्य की अच्छी तरह से योजना बनाना बेहद जरूरी है। लेकिन हमारी इस स्टडी से कुछ दिलचस्प बातें भी सामने आई हैं। उनमें इस तरह के एक्टिव इन्वेस्टमेंट को अगले 1-2 सालों तक बरकरार रखने में काफी कम रुचि दिखाई देती है। इसके अलावा, उन्हें पहले से तय किए गए लक्ष्यों के लिए इन्वेस्टमेंट का भी समय से पहले उपयोग करना पड़ा है। उन्हें लगता है कि वे कमजोर जमीन पर खड़े हैं, जिसमें कोई हैरानी की बात नहीं है।”
अगर उनके 5 सबसे पसंदीदा प्रोडक्ट कैटिगरी– यानी लाइफ़ इंश्योरेंस, हेल्थ इंश्योरेंस, इक्विटी और बैंक एफडी की बात की जाए, तो इन सभी केटेगरी में 60% से भी कम लोगों ने अपने इन्वेस्टमेंट को बरकरार रखा है, और इससे भी कम लोग अगले 1-2 सालों तक इसे बरकरार रख पाने की उम्मीद करते हैं। इस स्टडी में आगे की जाँच करने पर पता चला कि, इन सभी प्रोडक्ट कैटिगरी को समय से पहले समाप्त कर दिया गया है, जिसका सीधा मतलब यह है कि उन्होंने पहले से तय किए गए लक्ष्यों को पूरा करने से पहले ही इनका उपयोग कर लिया था। पैसों की सख्त ज़रूरत की वजह से उन्हें समय से पहले अपने इन्वेस्टमेंट का उपयोग करना पड़ा, जबकि छुट्टियाँ, त्यौहारों के दौरान खर्च जैसी गैर-महत्वपूर्ण ज़रूरतें भी इसके गैर-महत्वपूर्ण कारण के रूप में उभरकर सामने आईं।
इस जनरेशन के लोगों की ख़्वाहिशें मुख्य रूप से अपने बच्चों के भविष्य (उनकी पढ़ाई और शादी के लिए पैसे जुटाना), अपने माता-पिता की सेहत से जुड़ी ज़रूरतों और परिवार के जीवन स्तर को बेहतर बनाने पर केंद्रित हैं। उन्हें फाइनेंशियल प्लानिंग पर काफी भरोसा है। 94% लोग बताते हैं कि उन्होंने या तो हर पहलू को ध्यान में रखकर फाइनेंशियल प्लानिंग की है या कुछ हद तक इसकी योजना बना रखी है। इनमें से ज़्यादातर, यानी 72% लोग यह भी मानते हैं कि उन्होंने कुछ खास अरमानों को पूरा करने के लिए इन्वेस्टमेंट किया है।
इसके बावजूद, 64% लोगों ने बताया कि वे अपनी कम समय की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए किसी-न-किसी तरह के क्रेडिट का उपयोग करते हैं, जबकि 49% लोग बचत का सहारा लेते हैं। इस स्टडी से पता चलता है कि, वे नकद रकम/ इनकम के साथ-साथ क्रेडिट की मदद से स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी महत्वपूर्ण ज़रूरतों को पूरा करते हैं, साथ ही उनके लिए छुट्टियां बिताने, घर की मरम्मत जैसी गैर-महत्वपूर्ण ज़रूरतों को पूरा करना भी सुविधाजनक हो जाता है।
लंबे समय के अरमानों की बात की जाए, तो 79% लोगों को यह उम्मीद होती है कि वे वित्तीय साधनों से मिलने वाले रिटर्न या मुनाफ़े से इन्हें पूरा करेंगे, जबकि 71% भविष्य में मिलने वाले रेग्युलर इनकम से इसे पूरा करना चाहते हैं। यह जानकारी भी बड़ी दिलचस्प है कि इस जनरेशन के लोगों के लिए रिटायरमेंट भी लंबे समय के 3 सबसे बड़े अरमानों में से एक है, क्योंकि सामान्य तौर पर इस उम्र तक व्यक्ति को रेग्युलर इनकम मिलना बंद हो जाता है।
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