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इन आयुर्वेदिक सुपरफूड्स के साथ मानसून के एक्ने को कहें अलविदा



आगरा 19 अगस्त 2025। मौसम के बदलाव के कारण नमी और तापमान में परिवर्तन होते हैं, जो त्वचा संबंधी समस्याओं जैसे बंद पोर्स, अधिक तेल स्राव और बार-बार फोड़े-फुंसियों का कारण बनते हैं। त्वचा देखभाल उत्पादों पर ध्यान केंद्रित करने के बावजूद, आहार का प्रभाव अक्सर नजरअंदाज रह जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, विशेष रूप से मानसून में वात और पित्त दोषों में वृद्धि होती है, जिससे सूजन और त्वचा रोग जैसे मुँहासे और दाने उत्पन्न हो सकते हैं। इस अवधि में गर्म पेय और तली-भुनी वस्तुओं की लालसा के साथ, उचित आहार द्वारा आंतरिक संतुलन बनाना त्वचा स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है।
    प्रमुख आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. मधुमिता कृष्णन सुझाव देती हैं कि मानसून में वात और पित्त दोष को संतुलित करने के लिए ऐसे भोजन शामिल करें जिनकी प्रकृति मीठी और थोड़ा तैलीय हो। इससे शरीर को ठंडक मिलेगी और त्वचा की समस्याओं में सुधार होगा। वे पांच आयुर्वेद सुपरफूड्स की सलाह देती हैं, जिनमें पोषक तत्वों से भरपूर बादाम और त्रिदोष संतुलित करने वाला आंवला शामिल हैं, जो मुँहासों को कम करने और त्वचा को साफ़-सुथरा रखने में मदद करते हैं।

बादाम

बादाम मानसून के आहार के लिए बिल्कुल उपयुक्त हैं क्योंकि इनका स्वाद मुख्यतः मीठा होता है। वे वात और पित्त दोष को संतुलित करने में मदद करते हैं। थोड़े तैलीय होने के कारण ये त्वचा को अंदर से पोषण देने के लिए आदर्श हैं। इस प्रकार, वे बरसात के मौसम में संतुलन बनाए रखने के लिए उपयुक्त होते हैं। प्रकाशित आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी ग्रंथों के अनुसार, बादाम त्वचा के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं और त्वचा की चमक बढ़ा सकते हैं। रात भर भिगोकर खाने से ये पचने में आसान होते हैं और त्वचा को गहराई से पोषण प्रदान करते हैं।

हल्दी

पीढ़ियों से यह स्वर्ण रंग की मसाला अपनी एंटीबैक्टीरियल (जीवाणुरोधी) और एंटी-इंफ्लेमेटरी (सूजन रोधी) गुणों के लिए प्रसिद्ध है। यह पाचन को बेहतर बनाए रखने में सहायक है और वात दोष को संतुलित करती है, जिससे त्वचा पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। हल्दी को नियमित भोजन में शामिल करने से मुँहासे और अन्य त्वचा संबंधी सूजन को कम किया जा सकता है। यह संक्रमणों से लड़ती है, रक्त को शुद्ध करती है और त्वचा को स्वस्थ बनाती है।

आंवला

आंवला, जो सभी त्रिदोषों (वात, पित्त, कफ) को संतुलित करता है, प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत बनाता है और त्वचा को युवा, ताजगी से भरा तथा पोषित बनाए रखता है। यह शरीर से अशुद्धियों को निकालकर मानसून के दौरान त्वचा संबंधी दुष्प्रभावों की संभावना को कम करता है।

नीम (Neem)

नीम में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और खून साफ़ करने वाले गुण होते हैं, जो आयुर्वेद में पिंपल्स की समस्या के लिए एक भरोसेमंद इलाज बनाते हैं। नीम का रस पीने से खून की अशुद्धियाँ दूर होती हैं, जिससे त्वचा संबंधी समस्याएं कम होती हैं।

लहसुन

लहसुन के वात को संतुलित करने वाले गुण इसके तीखे स्वाद के बावजूद अंदर से असर करते हैं, जिससे यह प्राकृतिक और त्वचा साफ़ करने वाले उपायों की तलाश करने वालों के लिए एक लोकप्रिय सुपरफूड बन गया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस बात की चर्चा कर रहे हैं कि खाली पेट एक कच्चा लहसुन खाना कितनी लाभकारी होती है, जो हाल ही में सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
    निष्कर्ष यह है कि त्वचा की सेहत सिर्फ बाहर की बात नहीं होती — असली खूबसूरती अंदर से आती है।
आयुर्वेद भी यही कहता है कि सही खानपान और पोषण से त्वचा अपने आप निखरती है। अगर आप कैलिफ़ोर्निया बादाम और हल्दी जैसी चीज़ें अपने आहार में शामिल करें, तो मानसून में भी त्वचा स्वस्थ और चमकदार बनी रह सकती है।

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