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युवक बिरादरी (भारत) ने जय जगत सम्मेलन 2025 के साथ मनाई 51वीं सालगिरह, 51 वर्षों से युवाओं को बना रहे सशक्त



आगरा 19 अगस्त 2025। एकजुटता, नेतृत्व एवं सामाजिक बदलाव के लिए समर्पित युवा-उन्मुख संगठन युवक बिरादरी (भारत) ने जय जगत सम्मेलन 2025 के साथ अपनी 51वीं सालगिरह का जश्न मनाया। इस अवसर पर देश भर से जाने-माने लीडर, दिग्गज एवं युवा प्रतिनिधि मौजूद रहे, जिन्होंने अगली पीढ़ी को सशक्त बनाने की संगठन की प्रतिबद्धता को दर्शाया।
    पद्मश्री पुरस्कार प्राप्तकर्ता, युवक बिरादरी (भारत) के संस्थापक अध्यक्ष क्रांन्ति शाह भी सम्मेलन में मौजूद रहे, जो शुरूआत से संगठन को मार्गदर्शन देते रहे हैं। अन्य गणमान्य अतिथियों में शामिल थे बॉम्बे हाई कोर्ट के पूर्व जज, माननीय जस्टिस साधना संजय जाधव; संसद सदस्य, शशांक मणि त्रिपाठी; जाने-माने राजनीतिक रणनीतिकार, एमडी नाम्बियार ग्रुप, श्री आयूष नाम्बियार, संसद के पूर्व सदस्य, राज्य सभा, कुमार केटकर, डायरेक्टर डीवाय पाटिल स्कूल ऑफ लॉ, नेरूल, नवी मुंबई एवं चीफ़ अडवाइज़र, वी कोम्पस ज्युरिस प्रा. लिमिटेड, प्रोफेसर डॉ करूणा, रजिस्ट्रार, महाराष्ट्र नेशनल लॉ युनिवर्सिटी, छत्रपति संभाजी नगर, प्रोफेसर डॉ धनजी जाधव; आर्बिट्रेटर एवं संस्थापक निदेशक, गटरेंच स्पोर्ट्स क्रावे प्रा. लिमिटेड; प्रोफेसर संजय चवन, प्रोफेसर ऑफ लॉ, महाराष्ट्र नेशनल लॉ युनिवर्सिटी, मुंबई और मानद निदेशक, युवक बिरादरी (भारत), मैनेजिंग ट्रस्टी, युवक बिरादरी भारत सवार क्रान्ति, प्रोफेसर डॉ गरिमा पाल; और एक्ज़क्टिव कोऑर्डिनेटर युवक बिरादरी (भारत), एडवोकेट वेदांत वैशाली जयंत। भारत के 5 राज्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले 5 छात्रों ने उद्घाटन किया।
    सम्मेलन के दौरान मानवीय मूल्यों एवं स्थायित्व पर विशेष सत्र का आयोजन हुआ, साथ ही श्री क्रांति शाह द्वारा लिखित पुस्तक माझी बिरादरी का विमोचन भी हुआ। गौरी त्रिपाठी द्वारा ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा’ पर दी गई सांस्कृतिक प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
    ‘श्री आयूष नाम्बियार, जाने माने राजनीतिक रणनीतिकार, प्रबन्ध निदेशक, नाम्बियार ग्रुप ने सम्मेलन की सफलता और विचारकों की भावना की सराहना करते हुए कहा, ‘अनुसंधान, उद्यमिता का आधार है, यह समस्याओं को संभावनाओं में बदल देता है। दृष्टिकोण के बिना, अनुसंधान सिर्फ सिद्धान्त बनकर रह जाता है, उद्यमिता उद्देश्यहीन हो जाती है। ये एक साथ मिलकर चुनौतियों को अवसरों में बदलते हैं और अवसरों को प्रभावशाली बनाते हैं।’’



    पद्म श्री क्रांति शाह, संस्थापक अध्यक्ष युवक बिरादरी (भारत) ने कहा, ‘‘समुदाय हमेशा से महाराष्ट्र का अभिन्न हिस्सा रहा है। आधुनिक समाज में, हम बलराज साहनी द्वारा स्थापित विरासत, ‘युवक बिरादरी (भारत)’ की अवधारणा को आगे बढ़ा रहे हैं। पशु भट्टाचार्य और जया बच्चन जैसे लीडर, हालांकि महाराष्ट्र से नहीं हैं,लेकिन उन्होंने राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विशेष योगदान दिया है। मुल्क राज आनंद और फारूक शेख- ने भी इस विविध ताने-बाने में अपना योगदान दिया है।
    सम्मेलन के आयोजन के लिए सोच-समझ कर आगरा को चुना गया। विधायकों, विपक्ष केलीडरों एवं उद्योगपतियों के लिए आगरा में आकर सम्मेलन में हिस्सा लेना आसान है। इस शहर का विशेष पारम्परिक एवं सांस्कृतिक महत्व भी है। हमारा मानना है कि यह उत्तर प्रदेश के युवाओं में बदलाव, उद्यमिता एवं विकास की नई क्रान्ति को प्रज्जवलित करने के लिए उपयुक्त स्थान है। शहर का सौंदर्य, धार्मिक विरासत- ताज से लेकर आगरा का किला, सूरदस एवं गालिब- सभी पहलु इसके महत्व को बढ़ाते हैं।’
    कुमार केटकर, संसद के पूर्व सदस्य, राज्य सभा तथा पिछले 50 वर्षों से सम्पादक ने कहा, ‘‘श्री क्रान्ति शाह के साथ 35 वर्षों का एसोसिएशन बहुत अधिक मायने रखता है। अपनी 83 वर्ष की उम्र के बावजूद वे सांस्कृतिक पा में अग्रणी रहे हैं। उन्होंने कई छात्रों को प्रशिक्षित किया है, उन्हें धर्मनिरपेक्ष एवं प्रगतिशील मूल्यों की शिक्षा दी है। युवक बिरादरी द्वारा आयेजित यह कार्यक्रम बहुत ही सुंदर तरीके से डिज़ाइन एवं प्रस्तुत किया गया है। बिना किसी अनुचित राजनीति, बिना किसी बयानबाजी के यह सांस्कृतिक स्तर पर बना हुआ है, अपनी सीमा रेखा का न लांघते हुए यह ज्ञान प्राप्ति के स्तर पर बना रहा है।’’
    जस्टिस साधना संजय जाधव, सेवानिवृत जज, बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा, ‘‘युवक बिरादी युवाओं को सशक्त बनाना जारी रखे हुए है, जो हमारे देश का भविष्य हैं। विनोबा भावे द्वारा दिया गया नाम ‘जय जगत’ न सिर्फ भारत की पहचान बल्कि बड़ी इंटरकनेक्टेड दुनिया में इसकी भूमिका को भी उजागर करता है। इस तरह के आयोजन आने वाले कल को आयाम देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।’’
    सम्मेलन के अंतिम दिन इतिहास, वार्ता एवं दृष्टिकोण का संयोजन देखने को मिला। प्रतिभागियों ने आगरा के किले और फतेहपुर सीकरी की भव्यता का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त किया, जो भारत की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक हैं। दिन का समापन एक एक विशेष सत्र तथा सम्मेलन के घोषणापत्र के साथ हुआ, जहां युवा-उन्मुख बदलाव, स्थायी विकास एवं समावेशी नेतृत्व के लिए कार्ययोग्य लक्ष्यों पर रोशनी डाली गई।
    जय जगत सम्मेलन 2025 के साथ युवक बिरादरी (भारत) ने न सिर्फ युवा सशक्तीकरण की 51 वर्षों की प्रतिबद्धता का जश्न मनाया बल्कि भविष्य के लिए नवीकृत मार्ग भी प्रशस्त किया, जहां नए विचार, एकजुट समुदाय और बोल्ड नेतृत्व एक साथ मिलकर देश के प्रयोजन एवं प्रगति की ओर अग्रसर करते हैं।
    सम्मेलन अपने समापन के साथ कई यादें छोड़ गया, इसने युवाओं में ऐसे आंदोलन का प्रज्जवलित किया है, जो इनोवेशन के साथ भारत के समावेशी एवं स्थायी निर्माण को बढ़ावा देते हैं, और विश्वस्तरीय मंच पर नेतृत्व के लिए तैयार हैं।

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