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जॉनसन्स बेबी के निर्माता ने नवजात शिशुओं की पहले मिनट से सुरक्षा करने के लिए पिछले 16 साल में प्रशिक्षित किए 2 लाख से अधिक स्वास्थ्यकर्मी के प्रशिक्षण का समर्थन किया



  • नवजात शिशुओं को बचाने में एनआरपी की अहम भूमिका पर जागरूकता अभियान की शुरुआत

आगरा 11 दिसंबर 2025। हर मां अपने बच्चे के जन्म के पहले क्षणों की मीठी यादें हमेशा संजोकर रखती है, जैसे, बच्चे का पहली बार रोना, पहला स्पर्श, पहली बार बच्चे को देख पाना। दुर्भाग्य से, कुछ माताएं इस अनुभव से वंचित रह जाती हैं, खास तौर पर जन्म के समय सांस अटक जाने जैसी स्थितियों में, जो समय से पहले मौत का कारण बनती हैं। पीढ़ियों से माता-पिता के साथ साझेदारी निभाते रहे ब्रांड, जॉनसन्स बेबी ने पिछले 16 साल से एक प्रमुख बाल रोग विशेषज्ञ संघ द्वारा संचालित नवजात पुनर्जीवन (नियोनेटल रिससिएशन प्रोग्राम- एनआरपी) प्रशिक्षण का समर्थन कर रहा है। यह पहल जॉनसन्स बेबी की जीवन के पहले क्षण से शिशुओं की सुरक्षा में प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।
    भारत में हर साल 1.2 लाख नवजात शिशु जन्म के 24 घंटे के भीतर ही मौत के शिकार हो जाते हैं, जिनमें भारत में जन्म के समय सांस अटकने (बर्थ एस्फिक्सिया) जैसी गंभीर स्थितियों का प्रमुख योगदान है। इस स्थिति में नवजात शिशु जन्म के समय सांस नहीं ले पाता है, जो जीवन के लिए खतरा पैदा कर सकता है और यदि बच्चा बच भी जाए तो किसी न किसी तरह की स्थाई अक्षमता पैदा हो सकती है। उत्तर प्रदेश और बिहार ने नवजात शिशु मृत्यु दर कम करने में अच्छी प्रगति की है, लेकिन इसे और कम करना अभी भी एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता बनी हुई है। जन्म होने के पहले मिनट में उचित हस्तक्षेप से जीवित रहने की संभावना 50% तक बढ़ सकती है।
    जॉनसन्स बेबी के निर्माता भारत में जन्म के समय सांस अटकने के कारण नवजात शिशुओं की होने वाली मृत्यु की दर कम करने के लिए स्वास्थ्यकर्मियों को नवजात पुनर्जीवन (नियोनेटल रिससिएशन) प्रशिक्षण प्रदान करने वाले प्रमुख बाल रोग विशेषज्ञ संघ का समर्थन कर रहे हैं। इस कार्यक्रम के तहत 2 लाख से अधिक नर्स, दाई और बाल  रोग विशेषज्ञों को ज़रूरी ज्ञान, कौशल और आपातकालीन स्थिति संभालने की तकनीकें सिखाई गई हैं, ताकि शिशुओं की जान बचाई जा सकें।
    एसेन्शियल हेल्थ एंड स्किन हेल्थ और मार्केटिंग उपाध्यक्ष, केनव्यू, भारत, मनोज गाडगिल, बिज़नेस यूनिट हेड ने कहा, “नवजात शिशु की सुरक्षा उस पहले मिनट के उचित हस्तक्षेप पर निर्भर करती है। दुर्भाग्य से पर्याप्त ज्ञान, प्रशिक्षण और संसाधनों की कमी के कारण यह अक्सर प्रभावित होती है। जॉनसन्स बेबी में, हम केवल पहले दिन नहीं बल्कि पहले क्षण से शिशुओं की सुरक्षा का वादा करते हैं। उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद प्रदान करने से लेकर सामाजिक संगठनों के साथ साझेदारी तक, हम शिशुओं के जीवन को बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम 16 साल से, एक प्रमुख बाल रोग विशेषज्ञ संघ का समर्थन कर रहे हैं, जिससे 2 लाख बाल रोग विशेषज्ञ, नर्स और दाई जीवनरक्षक नवजात पुनर्जीवन (नियोनेटल रिससिएशन) में प्रशिक्षित हुए हैं। हमें अपने सफर पर गर्व है, जो शिशुओं की पहली सांस को सुरक्षित रखने में मदद करने के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।”
    जॉनसन्स बेबी ने ‘प्रोजेक्ट गोल्डन मिनट – नियोनेटल रिससिएशन’ के तहत जागरूकता बढ़ाने के लिए डीडीबी मुद्रा द्वारा तैयार दिल छू लेने वाली डिजिटल फिल्म लॉन्च की है। यह फिल्म एक कस्बाई शहर के अस्पताल में की पृष्ठभूमि में बनी है, जहां कई नई-नई मां बनी महिलाओं के बीच एक नए बच्चे का जन्म होता। जब बच्चे का जन्म होता है, तो वहां खुशी के बजाय तनाव फैल जाता है क्योंकि जन्म के समय शिशु सांस नहीं ले पाता। फौरन, एक स्वास्थ्यकर्मी नवजात पुनर्जीवन (नियोनेटल रिससिएशन) प्रोटोकॉल का पालन करते हुए शिशु को बचा लेती है, और माताएं साथ मिलकर जन्म के उल्लास में गीत गाती हैं।
    डीडीबी मुद्रा कार्यकारी क्रिएटिव डायरेक्टर, सिद्धेश खटावकर और हर्षदा मेनन ने कहा, “हर मां के लिए सबसे अधिक खुशी का क्षण वह होता है जब वह अपने बच्चे का पहली बार रोना सुनती है। इस परियोजना के ज़रिये, उस कीमती पहले क्षण को कारगर बनाने में हज़ारों प्रशिक्षित डॉक्टरों, दाई और स्वास्थ्यकर्मियों का योगदान होता है। यह फिल्म, माताओं के साहस और नवजात शिशु की पहली सांस के लिए संघर्ष करने वालों की प्रतिबद्धता को समर्पित है। इसके लिए, हमने पारंपरिक भारतीय गीत, सोहर की पुनर्कल्पना की है, जो बच्चे के जन्म के मौके पर आशीर्वाद देने और उसकी सुरक्षा की कामना करने के लिए गाया जाता है। नवजात शिशु को बचाना केवल चिकित्सा से जुड़ा हस्तक्षेप नहीं, बल्कि प्यार बांटने का काम है।”
    पारंपरिक ‘सोहर’ गीत को पद्मश्री सम्मान प्राप्त प्रसिद्ध लोकगायिका मालिनी अवस्थी ने ‘पहिला सांस’ शीर्षक से पुनः प्रस्तुत किया है, जिसे लोकप्रिय म्यूज़िक स्ट्रीमिंग साइट्स पर जारी किया जाएगा। गीत को विभिन्न माध्यमों पर सुनने से जो आय होगी उसे इस पहल को और बढ़ावा देने के लिए दान किया जाएगा।
    भारत की मशहूर गायिका, मालिनी अवस्थी ने कहा, “ मैं, एक लोक गायिका के रूप में हमेशा से मानती रही हूं कि संगीत में दिलों को जोड़ने और किसी पहल को अपनाने का प्रेरणा स्रोत बनने की शक्ति है। जब जॉनसन्स बेबी ने मुझसे इस उल्लेखनीय पहल के लिए जागरूकता बढ़ाने के संबंध में मुझसे गाने का निवेदन किया, तो मैं बेहद प्रभावित हुई। इस पहल को और विशेष बनाता है ‘सोहर’ का सम्मान। सोहर, पारंपरिक लोक गीत है, जो माताएं बच्चे के जन्म के मौके पर गाती हैं। शिशु का पहली बार रोना, आशा का गीत है, और इस पहल के ज़रिये हम जीवन का जश्न मनाते हैं। मेरा गायन यह सुनिश्चित करने की दिशा में योगदान है कि कोई भी माता-पिता समय पर मदद न मिलने के कारण बच्चे के खोने का दर्द न झेलें।”
    जॉनसन्स बेबी कई टचपॉइंट पर सार्वजनिक जागरूकता अभियान चलाने की योजना बना रहा है, जिसमें ऐसे कई इन्फ्लुएंसर को शामिल किया जाएगा जो मां भी हैं। साथ ही इसके तहत पीवीआर सिनेमाज़ में भी इस विज्ञापन को दिखाया जाएगा | यह अभियान कानपुर, इलाहाबाद, लखनऊ और पटना जैसे शहरों में चलाया जाएगा।
प्रचार अभियान की फिल्म लिंक: https://www.youtube.com/watch?v=IAwvHXnEGe4
 ‘पहिला सांस’ --Johnson's baby x Malini Awasthi: 

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