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नहरों का शहर रहा आगरा अब नालों का शहर

  • दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला हो गई शुरू
  • शिरकत कर रहे देश के प्रमुख वास्तुकार


आगरा। आगरा आर्किटेक्ट एसोसिएशन की दो दिवसीय राष्ट्रीय  कार्यशाला शनिवार को होटल जेपी में शुरू हो गई। इसमें देश के प्रमुख वास्तुकार शिरकत कर रहे हैं। मुख्य अतिथि काउंसिल ऑफ आर्किटेक्चर के पूर्व अध्यक्ष उदय गडकरी ने कहा कि वास्तुकला एक पब्लिक आर्ट है। वास्तु में हमें जरूरत और लग्जरी के अन्तर को समझना होगा। कार्यक्रम में वास्तु उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगाई गई है। गडकरी ने कहा कि भारतीय वास्तु एक ब्लॉटिंग पेपर की तरह है, जिसने कई संस्कृतियों की तरह मुगलिया और ब्रिशिट वास्तु को भी खुद में समाहित किया। मोहन जोदड़ो और हड़प्पा इसके उदाहरण हैं कि भारत वास्तुकला में उस दौर में भी काफी विकसित था। भारत आज अपनी वास्तु की विरासत को खोता नजर आ रहा है। इसकी वजह सरकारी विभागों का सामन्जस्य न होना है। एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष शशि शिरोमणी ने कहा कि इतिहास का आधार भूगोल ही है। आगरा के वास्तु पर चर्चा करते हुए वह बोले कि कभी नहरों का शहर रहा आगरा आज नालों का शहर बन गया है। 

संस्थापक सचिव सीएस गुप्ता ने 1972 से अब तक के एसोसिएशन के सफर की जानकारी दी। संचालन देविना व किरन गुप्ता ने किया। लग्जरी आर्किटेक्ट के नाम से मशहूर मुम्बई के प्रेमनाथ ने कहा कि अब खिड़कियां भी बिजली पैदा कर रहीं हैं। यानी अब खिड़कियों पर सोलर सेल लगाए जाने लगे हैं, जिससे घर की बिजली की काफी खपत इससे ही पूरी हो रही है। सीवेज के पानी और कचरा भी उपयोगी है। उन्होंने बताया कि मुम्बई, रायपुर जैसे शहरों में स्मार्ट हाउस को कर में छूट दी जा रही है। कार्यशाला में अध्यक्ष अश्वनी शिरोमणी, सचिव सौरभ सक्सेना, कोषाध्यक्ष अनघा शर्मा, गौरव शर्मा, श्रुव कुलश्रेष्ठ, अर्चना यादव, किरन गुप्ता, बृजेन्द्र सिंह, ललित द्विवेदी, राजीव चतुर्वेदी, उप्र आगरा आर्किटेक्ट एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अतुल गुप्ता, सतीश चंद गुप्ता, जगत सिंह फौजदार, रामेश्वर जैसवाल आदि उपस्थित थे। 

तीन पुस्तकों का  हुआ विमोचन

आगरा। कार्यशाला में तीन पुस्तकों का विमोचन हुआ। सुबोध शंकर की पुस्तक ईंट मेरी कहानी-मेरा इतिहास, जित कुमार गुप्ता की पुस्तक मेकिंग सिटीज ग्रेट प्लेस टू लिव और राजीव द्विवेदी की पुस्तक भवन निर्माण वर्तमान परिपेक्ष्य का सभी सदस्यों ने मिलकर विमोचन किया। 


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