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टीका, जांच और इलाज से करें हेपेटाइटिस का अंत



लखनऊ 8 जुलाई 2025। हर साल 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया जाता है – यह दिन एक ऐसी बीमारी की याद दिलाता है जो लाखों जिंदगियों को चुपचाप निगल रही है, जबकि इसे रोका और इलाज किया जा सकता है। हेपेटाइटिस, यानी लिवर में सूजन, आज के समय की सबसे कम पहचानी जाने वाली लेकिन गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। भारत समेत दुनियाभर में करोड़ों लोग हेपेटाइटिस बी या सी से ग्रस्त हैं, लेकिन उन्हें इसका अंदाजा तक नहीं होता। अधिकतर मरीज तब डॉक्टरों के पास आते हैं जब लिवर पहले से ही क्षतिग्रस्त हो चुका होता है या फेल होने की स्थिति में होता है।
    मैक्स हॉस्पिटल, साकेत के हेपेटोलॉजी  विभाग के कंसलटेंट डॉ. विपुल गौतम ने कहा कि “इस साल विश्व स्वास्थ्य संगठन की थीम – “Hepatitis: Let’s Break It Down”, इस मुद्दे को गहराई से समझने और हर स्तर पर बाधाएं तोड़ने की अपील करती है। इन बाधाओं में आर्थिक सीमाएं, सामाजिक कलंक, जागरूकता की कमी और सिस्टम में देरी शामिल हैं। लिवर शरीर का एक अनिवार्य अंग है, जो 500 से ज्यादा जरूरी काम करता है – जैसे भोजन को पचाना, ऊर्जा का भंडारण, विषैले पदार्थों को निकालना और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखना। लेकिन जब हेपेटाइटिस होता है, ये सारी क्रियाएं बाधित हो जाती हैं। हेपेटाइटिस ए और ई आमतौर पर दूषित भोजन या पानी से फैलते हैं और थोड़े समय में ठीक हो जाते हैं। लेकिन हेपेटाइटिस बी और सी बेहद खतरनाक होते हैं – ये वर्षों तक बिना लक्षण के शरीर में मौजूद रह सकते हैं और धीरे-धीरे सिरोसिस, लिवर फेल्योर या कैंसर का कारण बनते हैं।“
    भारत में लगभग 4 करोड़ लोग हेपेटाइटिस बी और 6 से 12 मिलियन लोग हेपेटाइटिस सी से ग्रस्त हैं। यह संक्रमण असुरक्षित इंजेक्शन, संक्रमित सर्जरी या डेंटल ट्रीटमेंट, बिना जांच वाला रक्तदान, जन्म के समय मां से बच्चे को, असुरक्षित यौन संबंध और साझा किए गए रेज़र या टूथब्रश से फैल सकता है।
    लेकिन अच्छी बात यह है कि हेपेटाइटिस को रोका और इलाज किया जा सकता है। हेपेटाइटिस बी का एक सुरक्षित और प्रभावशाली टीका मौजूद है, लेकिन कई वयस्क अभी भी टीकाकरण से वंचित हैं। वहीं हेपेटाइटिस सी का इलाज अब मौखिक दवाओं से संभव है, जो 2-3 महीनों में बीमारी को जड़ से खत्म कर सकती हैं। हेपेटाइटिस बी का अभी पूर्ण इलाज नहीं है, लेकिन उचित इलाज से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
    डॉ. विपुल ने आगे बताया कि  “तो सवाल उठता है – जब इलाज और रोकथाम संभव है, तो फिर लाखों जानें क्यों जा रही हैं? इसका उत्तर है – रुकावटें। इस साल की थीम – Let’s Break It Down – सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि एक कार्य योजना है। हमें परीक्षण को आम बनाना होगा, इलाज को सुलभ बनाना होगा, सामाजिक कलंक को तोड़ना होगा और स्वास्थ्य सेवाओं में हेपेटाइटिस के इलाज को एकीकृत करना होगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन का लक्ष्य है 2030 तक हेपेटाइटिस को सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे की सूची से बाहर करना। यह तभी संभव है जब आम लोग, स्वास्थ्यकर्मी और नीति-निर्माता मिलकर काम करें। हर व्यक्ति को स्वयं और अपने परिवार का टीकाकरण करवाना चाहिए, अनावश्यक इंजेक्शन से बचना चाहिए और जागरूकता फैलानी चाहिए।“
    हेपेटाइटिस भले ही खामोश बीमारी हो, पर उसका समाधान जोरदार और स्पष्ट होना चाहिए। इस विश्व हेपेटाइटिस दिवस पर आइए हम चुप्पी, डर और भ्रम को तोड़ें। लिवर स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें, क्योंकि एक साधारण टीका, समय पर जांच या एक दवा की खुराक, किसी की जिंदगी बचा सकती है। अब समय है कि हम लिवर का शुक्रिया अदा करें – और हेपेटाइटिस के खिलाफ आवाज उठाकर इसे हमेशा के लिए खत्म करें।

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